Bhola of Mirzapur has been fighting for the last 15 years to prove himself alive. The offices are tired of rotating. Now sitting with a plank, on which it is written, Sir, I am alive, I am a man and not a ghost. In fact, after the father's death, Bhola and his brother were partitioned and recorded on government paper. A few days later, the brother along with Lekhpal and Kanungo removed his name from Khatauni and declared him dead.
मिर्जापुर के भोला पिछले 15 साल से खुद को जिंदा साबित करने की जंग लड़ रहे हैं। दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते थक चुके हैं। अब एक तख्ती लेकर बैठे हैं, जिस पर लिखा है, साहब मैं जिंदा हूं, आदमी हूं भूत नहीं। दरअसल पिता की मौत के बाद भोला और उनके भाई में जमीन बंटकर सरकारी कागज पर दर्ज हुई थी। कुछ दिनों बाद भाई ने लेखपाल और कानूनगो के साथ मिलकर उनका नाम खतौनी से हटवाया और मृत घोषित करा दिया।
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